भारत ने एक बार फिर इंडियन ओशन में अपना कूटनीतिक खेल दिखाया है। इस बार श्रीलंका में चीन की पकड़ को कमजोर करने के लिए भारत ने मास्टरस्ट्रोक चला है। दलअसल श्रीलंका के त्रिंकोमाली शहर में भारत, यूएई और श्रीलंका के बीच एक बड़े ऊर्जा हब को बनाने का ऐलान हुआ है। यह कदम न सिर्फ तीन देशों के आपसी सहयोग को मजबूती देगा बल्कि चीन की अरबों डॉलर की परियोजनाओं को चुनौती भी देगा।
शनिवार को कोलंबो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान यह समझौता हुआ। मोदी का यह दौरा श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा डिसानायके के सत्ता में आने के बाद पहला दौरा था। इस मौके पर त्रिपक्षीय समझौता किया गया जिसे भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री, श्रीलंका के ऊर्जा सचिव प्रो. केटीएम उदयंगा हेमपाला और यूएई के प्रतिनिधियों ने साइन किया।
त्रिंकोमाली का महत्व क्या?
दरअसल त्रिंकोमाली एक प्राकृतिक डीप-वॉटर हार्बर है और रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जाता है, यह अब ऊर्जा हब बनने जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत मल्टी-प्रोडक्ट पाइपलाइन, ऑयल टैंक फार्म और लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। इंडियन ऑयल की श्रीलंका शाखा पहले से ही इन टैंक फार्म्स के कुछ हिस्से को ऑपरेट कर रही है।
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “त्रिंकोमाली ऊर्जा सहयोग के लिए एक क्षेत्रीय केंद्र बनने की भारी क्षमता रखता है। यूएई भारत का रणनीतिक ऊर्जा सहयोगी है, और इस पहल में उनका साथ आना इस क्षेत्र के लिए पहली बार की ऐतिहासिक पहल है।”
भारत ने चीन का निकाला तोड़
ये परियोजना उस समय सामने आई है जब चीन श्रीलंका में हम्बनटोटा जैसे बंदरगाह और 3.2 अरब डॉलर की ऑयल रिफाइनरी जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है। ऐसे में भारत की यह पहल सिर्फ एक ऊर्जा समझौता नहीं, बल्कि चीन को टक्कर देने की एक शानदार रणनीति भी है।