यूपी में लापरवाही और भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त रुख का असर एक बार फिर दिखाई दिया है। प्रधानमंत्री आवास योजना में लापरवाही पर इंजीनियरों की सेवा ही समाप्त कर दी गई है। यह इंजीनियर संविदा पर तैनात थे। नगरीय विकास अभिकरण (सूडा) निदेशक डा. अनिल कुमार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-दो में लापरवाही करने के आरोप में सिटी लेबिल टेक्निकल सेल (सीएसटीसी) के नौ संविदा अभियंताओं की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। इन पर तय लक्ष्य से कम डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) ऑनलाइन अपलोड करने का आरोप है।

प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी-दो में ऑनलाइन सभी काम किए जा रहे हैं। इसकी जिम्मेदारी संविदा पर रखे गए सीएलटीसी को दी गई है। नगर निगम वाले जिलों में 2500 और पालिका परिषद व नगर पंचायतों में 1500 डीपीआर ऑनलाइन करने का लक्ष्य निर्धारित है। सूडा निदेशालय ने जांच में पाया कि कानपुर नगर, अलीगढ़ व फिरोजाबाद में 20 से कम डीपीआर अपलोड किए गए। कुशीनगर, आजमगढ़, फर्रुखाबाद, चित्रकूट व हापुड़ में एक भी डीपीआर अपलोड नहीं किया गया।

सूडा निदेशक ने इस पर मुशीर सिद्दीकी अलीगढ़, नितिन सक्सेना फर्रुखाबाद, सौरभ सिंह कुशीनगर, रवित रंजन चौधरी कानपुर नगर, सोहम मिश्रा फिरोजाबाद, अंकित कुमार पटेल आजमगढ़, अर्जुन सिंह चित्रकूट व बांदा, सरोज पाठक हापुड़ और रजनीश पटेल श्रावस्ती व बलरामपुर की सेवाएं समाप्त की हैं। उन्होंने इसके साथ ही अधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रदेश भर के निकायों में ऑनलाइन होने वाली डीपीआर की समीक्षा की जाए और यह देखा जाए की तय लक्ष्य के मुताबिक काम किया जा रहा है या नहीं। गड़बड़ी या मनमाने तरीके से डीपीआर अपलोड करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

यूपी में पिछले ही दिनों वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को लापरवाही और भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर निलंबित किया गया था। इसके बाद लगातार उन पर शिकंजा कसा जा रहा है। ईडी भी आईएएस अधिकारी के पीछे लग गई है। आईएएस पर इंन्वेस्ट की चाहत रखने वाले एक कारोबारी से बिचौलिया के जरिए घूस मांगने का आरोप है। बिचौलिया को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा चुका है। माना जा रहा है कि जल्द ही आईएएस पर भी और सख्त एक्शन हो सकता है।

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