मामले में हुई गड़बड़ी की ओर इशारा करते हुए सीजेआई खन्ना ने साफ तौर पर पूछा कि हमें स्पष्टीकरण दीजिए कि सभी OMR शीट का विवरण सर्वर में पाया गया है या नहीं। या कुछ गायब भी थे।
सुप्रीम कोर्ट में आज (गुरुवार, 19 दिसंबर को) पश्चिम बंगाल में कथित शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक साथ कई अर्जियों पर सुनवाई हो रही थी। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी पश्चिम बंगाल राज्य की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे थे। मामले की शुरुआत करते हुए उन्होंने शीर्ष न्यायालय से कहा कि राज्य सरकार जांच में सहयोग कर रही है और हाई कोर्ट में दागी और बेदाग उम्मीदवारों के अलगाव का समर्थन करती है।
इस पर CJI ने कहा कि आप कृपया विवादित फैसले की बात कीजिए और हमें बताइए कि हाई कोर्ट ने क्यों कहा कि अलगाव संभव नहीं है? CJI ने यह भी कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65B के बारे में एक गलत धारणा बनी हुई है।यह दस्तावेज के साक्ष्य मूल्य से संबंधित नहीं है और केवल प्रमाण पत्र भर हैं। मैं यह मानता हूं कि OMR शीट की मूल प्रतियां बरामद नहीं की गईं.. प्रमाण पत्र केवल वही दिखाता है जो सर्वर से डाउनलोड किया गया है जो हार्ड डिस्क में है लेकिन हार्ड डिस्क पर डेटा की प्रामाणिकता कुछ ऐसी नहीं है जो धारा 65B देती है।
मामले में हुई गड़बड़ी की ओर इशारा करते हुए सीजेआई खन्ना ने साफ तौर पर पूछा कि हमें स्पष्टीकरण दीजिए कि सभी OMR शीट का विवरण सर्वर में पाया गया है या नहीं। या कुछ गायब भी थे। सीजेआई ने यह भी कहा कि यह स्पष्ट है कि दागी उम्मीदवारों को बेदाग उम्मीदवारों से अलग नहीं किया जा सकता है। सीजेआई ने आगे कहा कि यह भी स्पष्ट है कि अनियमितताओं के बावजूद, अतिरिक्त पद सृजित किए गए। राज्य सरकार के वकील से उन्होंने पूछा आपने (पश्चिम बंगाल राज्य) भी तो सुनिश्चित किया कि अवैध नियुक्तियां जारी रहें। क्या यह सही नहीं है।
