समाजवादी पार्टी का सबसे मजबूत गढ़ कही जाने वाली करहल विधानसभा सीट पर पार्टी पूरी ताकत झोंक रही है। वर्ष 2022 के चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव यहां से चुनाव लड़े थे और 66 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीते थे। इससे पहले अब आगामी उपचुनाव को लेकर भाजपा के ताकत झोंकने के चलते सपा कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। सीट पर जीत का सिलसिला बनाए रखने के लिए पूरा सैफई परिवार मैदान में उतरा हुआ है। सांसद डिंपल यादव लगातार नुक्कड़ सभाएं कर प्रचार में जुटी हैं। प्रो. रामगोपाल यादव, शिवपाल सिंह यादव, धर्मेंद्र यादव भी सभाएं कर रहे हैं। मतदान तक परिवार का पूरा जोर इसी विधानसभा क्षेत्र पर रहना है।
करहल में 13 नवंबर को होना है मतदान
करहल विधानसभा सीट का उप चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए नाक का प्रश्न बन गया है। सपा की परंपरागत सीट कहे जाने वाले विधानसभा क्षेत्र में भाजपा भी इस बार पटखनी देने को पूरा दम झोंक रही है। ऐसे में भला बसपा भी कहां पीछे रहने वाली है। बसपा जातीय गोलबंदी कर दोनों दलों को घेरने में जुटी है। कैडर वोटरों के साथ मुस्लिम समाज को भी साधने का काम तेज कर दिया है। इसकी जिम्मेदारी पार्टी के मुस्लिम नेताओं को ही सौंपी गई है जो मुस्लिम धर्मगुरुओं की मदद से समाज के लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं।भी सपा यहां लगातार चुनाव जीतती रही है।
बसपा के निशाने पर सपा
कई दिन से मंडल प्रभारी मुस्लिम धर्मगुरुओं व समाज के कद्दावर माने जाने वाले लोगों के साथ बैठक कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा पर तुष्टिकरण की राजनीति खेलने का आरोप लगाते हुए कहा कि जातीय भेदभाव को बढ़ावा दिया जा रहा है। सपा भी भाजपा के ही रास्ते पर चली थी। सपा ने इतने वर्ष की राजनीति में मुस्लिम वोटरों का सिर्फ उपयोग किया है। विधानसभा क्षेत्र में ही मुस्लिम समाज के लोगों की स्थिति अच्छी नहीं है।