बिहार की 40 लोकसभा सीटों में 35 सीट जीतने की उम्मीद पाले बैठे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को 30 सीट से संतोष करना पड़ा जबकि 20-25 पर विजय समीकरण जोड़कर बैठे इंडिया गठबंधन को 9 सीट पर रुकना पड़ा। बिहार के लोकसभा चुनाव नतीजों में दोनों खेमे के जोड़-घटाव को सिर्फ तीन निर्दलीय कैंडिडेट ने पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक बदल डाला। शाहाबाद, मगध और सीमांचल में एनडीए को भारी नुकसान हुआ जबकि बाकी बिहार ने विपक्ष को एक सीट के लिए तरसा दिया।

सबसे ज्यादा असरदार काराकाट से लड़े भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह निकले जिन्होंने आखिरी चरण की 8 सीटों पर मारक असर डाला। इन 8 सीटों में एनडीए के हाथ से 6 सीटें निकलकर महागठबंधन के पास चली गईं। आरजेडी ने जो चार सीटें जीती हैं उनमें तीन, सीपीआई माले की दोनों और कांग्रेस की तीन में एक सीट इसी इलाके से निकली है। भाजपा के मना करने के बावजूद काराकाट में रालोमो अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ पवन के लड़ने से इलाके में कुशवाहा वोटर की नाराजगी को राजद, माले और कांग्रेस ने भुनाया।

आरा में सीपीआई- माले के सुदामा प्रसाद से हारे पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता आरके सिंह पवन सिंह के खिलाफ बोल रहे थे क्योंकि उन्हें फीडबैक था कि काराकाट में पवन के पीछे राजपूत वोटरों की एकजुटता से उपेंद्र कुशवाहा की हार के खतरे के जवाब में दूसरे इलाकों में कुशवाहा वोट एनडीए से दूर हो रहा है। नतीजे आए तो आरके सिंह का डर सही साबित हुआ। बक्सर से पाटलिपुत्र तक एनडीए साफ हो गया। काराकाट और आरा में सीपीआई- माले जबकि बक्सर, औरंगाबाद, जहानाबाद और पाटलिपुत्र सीट पर राजद की जीत में काराकाट की सवर्ण एकजुटता के खिलाफ पिछड़ों की गोलबंदी भारी पड़ी। जहानाबाद में कुशवाहा वोट का साथ और भूमिहार वोटों का विभाजन आरजेडी के सुरेंद्र प्रसाद यादव की जीत में अहम रहा।

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