जीतनराम मांझी को बिहार की राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता है। अपने 44 साल के राजनीतिक करियर में उन्होंने लगभग सभी दलों के साथ काम किया है। इन दलों में जनता दल, आरजेडी, जेडीयू और बीजेपी जैसे दल शामिल हैं। इसी तरह अपने सियासी करियर को उड़ान देते हुए उन्होंने साल 2014 में बिहार के 23 वें मुख्यमंत्री के पद को संभाला था। वह बिहार में दलित समुदाय के तीसरे मुख्यमंत्री थे। नरेंद्र मोदी सरकार 3.0 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) के संरक्षक जीतनराम मांझी भी केंद्रीय मंत्री बनने जा रहे हैं। इसी के साथ उन्हें राष्ट्रपति महोदया ने मंत्री पद की शपथ भी दिलाई है।
44 साल में मिली पहली जीत
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके मांझी ने कई बड़े पदों को संभाला, लेकिन अब तक एक भी बार सांसद नहीं बने थे। मांझी ने पिछले तीन लोकसभा चुनावों 1991, 2014 और 2019 में सांसदी के लिए हाथ आजमाया, मगर उन्हें हर बार निराश होना पड़ा। इस बार ये निराशा आशा में बदलती दिखी जब उन्होंने बिहार के विख्यात शहर गया से लोकसभा चुनाव जीता। उन्होंने इस चुनाव में आरजेडी के कुमार सर्वजीत को 101812 वोटों के अंतर से हराया है। उन्हें कुल 494960 वोट मिले हैं। उपविजेता रहे सर्वजीत को 393148 वोट मिले हैं।
मांझी का शुरुआती जीवन
मांझी का जन्म गया जिले के खिजरसराय के महकार गांव में एक महादलित मुसहर परिवार में हुआ था। मांझी के पिता खेतीहर मजदूर थे, उन्होंने इनका पालन पोषण बेहद मुश्किल से अभावों में किया था। मांझी ने ग्रेजुएशन करके सरकारी कार्यालय में क्लर्क की नौकरी करनी शुरू कर दी थी। लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीति ज्वॉइन कर ली।
