राजकोट गेमिंग जोन अग्निकांड ( Rajkot Game Zone Tragedy ) के पीड़ितों के रिश्तेदार और परिवार रविवार सुबह राजकोट सिविल अस्पताल के बाहर भीड़ बनाए हुए है । सभी का डॉक्टरों से एक ही सवाल है कि क्या उनके अपने जिंदा है या नहीं ? परिजनों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए पूछा कि इस मामले का कुछ तो करो । हमें बताओ कि हमारे रिश्तेदार जीवित हैं या नहीं ?

25 मई की शाम राजकोट के गेमिंग जोन में लगी भीषण आग ने देश को झकझोर कर रख दिया है। घटनास्थल से 27 शव बरामद किए गए हैं वहीं 33 से अधिक लोग लापता है। पीड़ितों के परिवार अस्पताल के बाहर भीड़ बनाकर खड़े हुए है। सभी का एक ही सवाल है कि क्या उनके अपने जिंदा है या मर गए!

सवाल कई, लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं

सिविल अस्पताल में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को पीड़ितों के परिजन घेर कर खड़े है और बस एक ही सवाल दोहराए जा रहे है कि क्या कोई जिंदा बचा है? धैर्य की सीमा पार कर चुके परिजन पुलिस अधिकारी से पूछ रहे है कि ‘साहब…कुछ तो बताइए…बस इतना बता दीजिए कि हमारे अपने जिंदा हैं या नहीं…।

परिजनों का भड़का गुस्सा, पूछ रहे बस एक सवाल

गुस्साए परिवार ने वहां मौजूद अधिकारी से कहा कि ‘हमें बता दीजिए कि यहां कोई शव नहीं है तो हम यहां से चले जाएं। आप एक घंटे के अंदर रिपोर्ट कर सकते हैं। यदि आप अधिकृत नहीं हैं, तो प्रक्रिया क्या है यह जानने के लिए डॉक्टर को बुलाएं। हमें पुलिस से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन एक डॉक्टर या अधिकारी भेजिए ताकि हम उनसे पूछ सकें।

अगर आपका बेटा होता तो…

परिजन अपना दर्द और रोते हुए आक्रोश व्यक्त कर रहे है। उन्हें बस ये जानना है कि इस मामले में कुछ हो भी रहा है कि नहीं। परिजनों ने गुस्से में कहा कि ‘हमें बताओ कि हमारे रिश्तेदार जीवित हैं या नहीं? अगर आप हमें कोई रिपोर्ट देंगे तो हमें पता चल जाएगा। हम कल से यहां बैठे हैं। हम भी इंसान हैं, हमारी पीड़ा तो देखो। देखो, हम तीन दिन से यहां हैं। आप हमें आधे घंटे के अंदर गायब आंकड़ा बताएं। समझिए अगर आपका बेटा होता तो क्या करते? इस पर अधिकारी ने जवाब दिया कि, ‘आज सुबह 5 लोगों की पहचान की गई। इसके बाद का कोई विवरण नहीं है।

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