डॉ जयेश मिश्र आचार्य जी जौनपुर

होलिका दहन मुहूर्त निर्णय
हर साल फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका दहन किया जाता है. फिर अगले दिन यानी चैत्र प्रतिपदा के दिन रंग वाली होली खेली जाती है. इस साल होलिका दहन 24 मार्च को होगा. इस दिन भद्रा का साया रहेगा. जबकि रंग वाली होली 25 मार्च को रंग-गुलाल उड़ेंगे. इस साल होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है. आइए जानते हैं कि इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया कब से कब तक रहेगा और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है.

🌿होलिका दहन पर भद्रा कब से कब तक?🌿

24 मार्च को होलिका दहन के दिन भद्रा का साया सुबह 9 बजकर 24 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. इसलिए आप रात 10 बजकर 27 मिनट के बाद ही होलिका दहन कर पाएंगे.

🌿होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 🌿

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से लेकर 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी. ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 10:28बजे से रात 12.27 बजे तक रहेगा.

🌿होलिका दहन की सामग्री🌿

सनातन धर्म होलिका दहन से पहले होली पूजन की परंपरा होती है. होलिका पूजन कुछ विशेष सामग्री के बगैर बिल्कुल अधूरा माना जाता है. इसमें एक लोटा जल, गोबर के उपलों से बनी माला, रोली, अक्षत, अगरबत्ती, फल, फूल, मिठाई, कलावा, बताशा, गुलाल पाउडर, नारियल, हल्दी की गांठ, मूंग दाल, और साबुत अनाज पूजा की थाली में जरूर रखें.

🌿होलिका दहन पर क्या न करें?🌿

होलिका दहन में सूखी लकड़ियां या झाड़ जलाने की परंपरा होती है. इसमें आम, वट और पीपल की लकड़ी जलाने से बचना चाहिए. इन तीनों पेड़ों की नई कोपलें फाल्गुन में ही निकलती हैं, इसलिए इनकी लकड़ियां नहीं जलाई जाती हैं. आप गूलर या अरंड के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा, इस दिन मांसाहार या तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए. झगड़ा, विवाद, क्रोध, झूठ या किसी का अपमान करने से बचें.

🌿होलिका दहन में क्या करें?🌿

होलिका दहन से होलिका मैय्या को जल अर्पित करें. विधिवत पूजन के बाद होलिका दहन करें. होलिका दहन की अग्नि में गेंहू की बालियां, गोबर के उपले और काले तिल डालें. इस अग्नि की तीन बार परिक्रमा करें. इसके बाद अग्नि को प्रणाम करके अपनी मनोकामनाएं कहें. होलिका की अग्नि की राख से स्वयं का और घर के लोगों का तिलक करें.

🌿होलिका दहन की पूजन विधि🌿

होलिका दहन के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नानादि के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. शाम के वक्त होलिका दहन के स्थान पर पूजा के लिए जाएं. यहां पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. सबसे पहले होलिका को उपले से बनी माला अर्पित करें. अब रोली, अक्षत, फल, फूल, माला, हल्दी, मूंग, गुड़, गुलाल, रंग, सतनाजा, गेहूं की बालियां, गन्ना और चना आदि चढ़ाएं.

फिर होलिका पर एक कलावा बांधते हुए 5 या 7 बार परिक्रमा करें. होलिका माई को जल अर्पित करें और सुख-संपन्नता की प्रार्थना करें. शाम को होलिका दहन के समय अग्नि में जौ या अक्षत अर्पित करें. इसकी अग्नि में नई फसल को चढ़ाते हैं और भूनते हैं. भुने हुए अनाज को लोग घर लाने के बाद प्रसाद के रूप में बांटतें हैं. शास्त्रों में ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है.

🌿होलिका पूजन मंत्र 🌿

🌿होलिका के लिए मंत्र- ॐ होलिकायै नम:

🌿परमभक्त प्रह्लाद के लिए मंत्र- ॐ प्रह्लादाय नम:

🌿भगवान नरसिंह के लिए मंत्र- ॐ नृसिंहाय न

होलिका दहन में कुछ चीजें अर्पित कर रहे हैं, तो इस मंत्र को बोलना शुभ माना जाता है।

🌿अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः।
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।

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