यूपी सरकार ने अमृत-दो में होने वाले विकास कामों और उसके देखरेख के साथ ही वित्तीय स्थिति तय कर दी है। इस योजना में होने वाले कामों को निकायों को अपने खर्च पर पांच साल तक देखरेख करनी होगी। विशेष सचिव नगर विकास धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने शासनादेश जारी करते हुए निकायों को भेज दिया है। इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री की बैठक में बनी सहमति के आधार पर 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले निकायों में अमृत योजना में होने वाले कामों की कुल लागत का केंद्र 25 प्रतिशत देगा। इसमें राज्य को 45 और निकायों को 30 फीसदी अपना हिस्सा मिलाना होगा।एक लाख से 10 लाख तक जनसंख्या वाले निकायों को कुल लागत का 33:33 प्रतिशत केंद्र देगा। राज्य को 46.67 और निकायों को 20 फीसदी मिलाना होगा। एक लाख से कम जनसंख्या वाले निकायों को केंद्र 50 फीसदी देगा। इसमें 30 राज्य और 20 फीसदी निकायों को मिलाना होगा। परियोजना लागत के अलावा अमृत-दो में सृजित होने वाली परियोजनाओं व परिसंपत्तियों की न्यूनतम पांच साल तक रख-रखाव के लिए पैसे की व्यवस्था निकायों को करनी होगी। इसका खर्च निकायों को स्वयं उठाना होगा। इसके साथ ही निकायों को केंद्र द्वारा निर्धारित सुविधाएं देनी होगी। जरूरत के आधार पर पानी, सड़क, पार्क के साथ सामुदायिक सुविधाओं की व्यवस्था करनी होगी।