यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को लखनऊ में विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। योगी ने कहा कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। ज्ञान जहां से भी आए अपनी दृष्टि खुली रखें और उसको स्वीकार करें। विज्ञान ने हर तरफ विकास कार्य में बड़ी मदद की है। इसका भी श्रेय प्राचीन भारत के मनीषियों को है। जिनकी एक वैज्ञानिक सोच और दृष्टिकोण ने हमको अच्छी सीख दी। मनीषियों ने ही कहा कि कोई भी चीज नष्ट नहीं होती है उसका स्वरूप बदल जाता है।

उन्होंने कहा कि केवल मनुष्य और प्राणी में ही नहीं बल्कि हर जन्तु और पेंड-पौधों में भी संवेदनाएं होती है। दुनिया को यह दृष्टि भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु जो एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे, ने दी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम अंग्रेजी कैलेंडर से भले ही कोई काम करते हैं, लेकिन मांगलिक कार्यक्रम आज भी पंचांग से ही करते हैं। पंचांग पूरी तरह से वैज्ञानिक है। उन्होंने श्रीमद् भागवत गीता को वैज्ञानिक और प्रासंगिक बताया। उन्होंने कहा कि इतने वैज्ञानिक दृष्टिकोण होने के बावजूद हम पिछड़े क्यों। इसका सबसे बड़ा कारण कि हमने अपने ज्ञान को धार्मिक आधार पर स्वीकार किया लेकिन उसे वैज्ञानिक रूप से नहीं सोच पाए। हमारी चीजों को वैज्ञानिक दृष्टि से देखने की आदत नहीं रही है।

उन्होंने टिप्पणी की कि विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट बनना चाहते हैं। एसोसिएट, प्रोफेसर बनना चाहते हैं । प्रोफेसर कुलपति बनना चाहते हैं और कुलपति बनने के बाद कहीं और जाना चाहते हैं। इसकी जगह शिक्षकों को वैज्ञानिक सोच और दृष्टि रखने की जरूरत है। वह अपने शोध को सामने रखें उसे प्रकाशित करें। 

2022-06-25 15:21:59
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