तेल की महंगाई के लिए क्या पिछली सरकारें जिम्मेदार हैं?
2021-02-18 08:11:52
देश में तेल की कीमतों के रिकॉर्ड पर पहुंचने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा है कि अगर पिछली सरकारों ने भारत की ऊर्जा आयात पर निर्भरता को कम करने पर गौर किया होता तो आज मध्यम वर्ग पर इतना बोझ नहीं पड़ता.
तमिलनाडु में ऑयल एंड गैस प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने के लिए आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "क्या भारत जैसे एक विविध और सक्षम देश को एनर्जी इंपोर्ट पर निर्भर होना चाहिए? मैं किसी की आलोचना नहीं करना चाहता, लेकिन मैं चाहता हूं कि अगर हमने इस मसले पर पहले फोकस किया होता तो हमारे मध्यम वर्ग को बोझ नहीं सहना पड़ता."
देश में कुछ जगहों पर पेट्रोल के दाम 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं. पिछले कई दिनों से लगातार तेल कंपनियां तेल की कीमतें बढ़ा रही हैं.
दिल्ली में गुरुवार को पेट्रोल की क़ीमत में प्रति लीटर 34 पैसे की बढ़ोतरी हुई और एक लीटर पेट्रोल 89.88 रुपए में मिल रहा है. 17 फ़रवरी को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 89.54 रुपए में मिल रहा था. दिल्ली में डीज़ल की क़ीमत भी प्रति लीटर 80.27 रुपए हो गई है.
कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियां तेल की ऊंची कीमतों के लिए सरकार को ज़िम्मेदार ठहरा रही हैं. इस बात पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि भारत में तेल पर जितना भारी टैक्स लगाया जा रहा है क्या उसके लिए पिछली सरकारें जिम्मेदार हैं.
साथ ही यह भी सवाल पैदा हो रहे हैं कि क्या तेल की खपत को हतोत्साहित करना एक नीति है?
तेल पर भारी टैक्स
तेल और गैस मामलों के जानकार रणवीर नायर कहते हैं, "ये एक टिपिकल मोदी स्पीच है. इसमें कुछ हद तक सच्चाई है, लेकिन झूठ ज़्यादा है."
वो कहते हैं कि 2013 तक पेट्रोल पर केंद्र और राज्यों के टैक्स मिलाकर क़रीब 44 फ़ीसदी तक होता था. अब ये टैक्स 100-110 फ़ीसदी तक कर दिया गया है.