दिसंबर 2006, यानी अब से करीब 16 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ‘देश के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों का पहला हक’ बताते हुए जो भाषण दिया था उसकी वजह से कांग्रेस पार्टी को अक्सर भारतीय जनता पार्टी निशाना बनाती है। अब एक बार फिर मनमोहन सिंह के उसी भाषण को लेकर गुजरात में हंगामा हो रहा है। विश्व हिंदू परिषद (बीएचपी) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार तड़के यहां कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय की इमारत पर पोस्टर चिपका दिए, जिसमें लिखा था कि पार्टी कार्यालय का नाम बदलकर ‘हज हाउस’ कर दिया गया है।
अब क्यों मचा हंगामा
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने कहा कि उसके कार्यकर्ताओं ने गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष जगदीश ठाकोर के अल्पसंख्यकों के बारे में हालिया बयान के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने के लिए यह कार्रवाई की। दरअसल, ठाकोर ने बुधवार को एक कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पुराने भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि वह उनके विचारों का समर्थन करते हैं कि देश के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों का पहला अधिकार होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस इस विचारधारा से पीछे नहीं हटेगी, भले ही उसे चुनावों में हार का सामना करना पड़े।”
भड़के हिंदूवादी संगठन
गुजरात कांग्रेस चीफ के इस बयान पर हिंदू संगठन भड़क गए और जमकर हंगामा किया। विहिप द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में प्रदर्शनकारी कांग्रेस पार्टी कार्यालय की दीवारों पर स्प्रे रंगों का उपयोग करते हुए ‘हज हाउस’ लिखते हुए दिख रहे हैं। उन्होंने बैनरों पर कांग्रेस नेताओं की तस्वीरों पर भी स्प्रे डाला। गुजरात विहिप के प्रवक्ता हितेंद्र सिंह राजपूत ने कहा, ”गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था कि देश के संसाधनों पर सबसे पहले अल्पसंख्यकों का अधिकार है। यह पार्टी एक तरफ धर्मनिरपेक्षता और समानता की बात करती है और फिर वोट के लिए तुष्टीकरण की राजनीति करती है। हम इस धर्म-केंद्रित राजनीति के खिलाफ हैं क्योंकि यह देश और समाज में विभाजन पैदा करती है। यह देश सभी 135 करोड़ नागरिकों का है।”
क्या कहा था मनमोहन सिंह ने?
यूपीए-1 की सरकार के दौरान मनमोहन सिंह ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाषण दिया था, जिस पर कई बार पहले भी हंगामा हो चुका है। भाजपा इसे मुस्लिम तुष्टिकरण का उदाहरण बताती है। नेशनल डिवेलपमेंट काउंसिल (एनडीएमसी) की 52वीं बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि आर्थिक विकास प्रक्रिया को और अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों के लिए नई योजनाएं तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा था, ”हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नई योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यक, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक, विकास के लाभों को समान रूप से साझा करने के लिए सशक्त हों। संसाधनों पर उनका पहला हक होना चाहिए।”