यूपी में नगर निकाय चुनाव सिर पर होने के बावजूद प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) का गठन न होने से कांग्रेसी खेमे में मायूसी है। पार्टी कार्यकर्ता इसे लेकर निकाय चुनाव की तैयारियों पर ही सवाल उठाने लगे हैं। उन्हें चुनाव से पहले पीसीसी के गठन का इंतजार है। विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित चुनाव परिणाम आने से हतोत्साहित कांग्रेस को प्रदेश में नए नेतृत्व के बारे में फैसला लेने में काफी समय लगा। वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बनाई गई प्रदेश कांग्रेस की इस नई टीम के सामने सबसे पहले तो निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती आन पड़ी है।सभी राजनीतिक दल निकाय चुनावों को जनाधार बढ़ाने के बड़े अवसर के तौर पर देखते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस कार्यकर्ता भी अपने नए नेतृत्व से अपेक्षाएं पाले हुए हैं। हालांकि अभी तक नगर निकाय चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन की कोई प्रक्रिया तक तय न होने से उनमें भारी निराशा है। प्रदेश के 17 नगर निगमों में महापौर के पद पर चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं को भी पार्टी के इशारे का इंतजार है।पार्टी ने बसपा से अपना राजनीतिक कॅरियर शुरू कर दो बार सांसद रहे बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कार्यकर्ताओं को दलित वोटबैंक की तरफ देखने का विकल्प दिया है। इसके साथ ही छह प्रांतीय अध्यक्षों के मनोनयन से भी सोशल इंजीनियरिंग को साधने की कोशिश की है। प्रांतीय अध्यक्ष के पद पर पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व नकुल दुबे के अलावा विधायक वीरेन्द्र चौधरी, पूर्व विधायक अजय राय, अनिल यादव व योगेश दीक्षित का मनोनयन किया गया है। आराधना मिश्रा ‘मोना’ पहले से कांग्रेस विधायक दल की नेता हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि अब यदि पीसीसी का भी गठन कर दिया जाए तो चुनाव की तैयारी आसान हो जाएगी।

2022-10-28 16:52:38 https://www.wisdomindia.news/?p=7451

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