आजकल मदरसों के सर्वे पर भी सांप्रदायिक सियासत हो रही है। अभी सभी मदरसों पर शक नहीं करना चाहिए लेकिन सर्वे पर बवाल खुद सवाल बन जाता है। जब कुछ छुपाने को नहीं तो चिल्लाना क्यों। यह बातें शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने विश्वसरैया भवन में आयोजित भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर कहीं।नकवी ने कहा कि कुछ लोग भारत में इस्लामोफोबिया के झूठे मनगढ़ंत तर्कों, दुष्प्रचारों के जरिए हिन्दुस्तान की शानदार समावेशी संस्कृति, संस्कार और संकल्प पर पाखंडी प्रहार से भारत को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। ऐसे साजिशी सिंडीकेट से होशियार रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने तुष्टिकरण के सियासी छल को समावेशी सशक्तिकरण के बल से ध्वस्त किया है। जो एमवाई फैक्टर सांप्रदायिक और संकीर्णता का प्रतीक था, आज मोदी-योगी के कारण विकास और विश्वास की जमानत है।
दारूल उलूम पर वर्षों से मदनी परिवार का कब्जा: बासित
अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने कहा कि एशिया का सबसे बड़ा मदरसा दारुल उलूम को बताया जाता है, जिसकी उच्चतम डिग्री की मान्यता यह है कि उसको प्राप्त करके भी आप कहीं नौकरी नहीं कर सकते। कहा कि मदनी परिवार ने लगातार वर्षों से दारूल उलूम पर कब्जा जमाया हुआ है। वहां एक बार जो मोहतमिम अर्थात इंचार्ज या प्रबंधक बन जाता है, वह अपनी आखिरी सांस तक चिपका रहता है।