मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में कांग्रेस को नया अध्यक्ष भले ही मिल गया हो, लेकिन गैर-गांधी होने के चलते आने वाले समय में उनका कई मुश्किलों से सामना होने का भी अनुमान है। 26 अक्टूबर को पद संभालने के बाद खड़गे के सामने जो कई चुनौतियां आएंगी, उनमें राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच कई सालों से चल रहा विवाद भी शामिल है। हिमाचल और गुजरात चुनाव को भले ही पार्टी किसी बड़े चैलेंज की तरह ले रही हो, लेकिन उससे पहले खड़गे के लिए राजस्थान संकट को हल करना बड़ी चुनौती होगी। दरअसल, इस समय कांग्रेस के पास सिर्फ राजस्थान और छत्तीसगढ़, दो राज्य ही बचे हुए हैं। पिछले कुछ सालों में एक के बाद एक करके राज्यों में सरकारें जाती रहीं और यदि अब राजस्थान संकट को सही से हल नहीं किया गया तो कहीं ऐसा न हो कि वहां भी कांग्रेस सरकार मुश्किल में फंस जाए। वहीं, माना जा रहा है कि राजस्थान संकट को हल करने के लिए खड़गे के पास ‘ब्रह्मास्त्र’ भी है।
राजस्थान संकट की फाइल जल्द खुलने की उम्मीद
राजस्थान विवाद को मल्लिकार्जुन खड़गे जल्द से जल्द सुलझाना चाहेंगे, क्योंकि अगले साल ही वहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। पार्टी किसी भी कीमत पर पंजाब की तरह देर नहीं करना चाहेगी, ताकि यदि मुख्यमंत्री को बदला भी जाता है तो ऐसा न हो कि उसे समय भी न मिले। एक्सपर्ट्स उम्मीद जता रहे हैं कि पायलट और गहलोत की फाइल जल्द ही खुल सकती है। मालूम हो कि पिछले महीने संकट को हल करने के लिए खुद खड़गे अजय माकन के साथ राजस्थान गए थे, लेकिन गहलोत के करीबी विधायकों की बगावत के चलते एक लाइन का प्रस्ताव नहीं पारित करवा सके। इससे गांधी परिवार काफी नाराज भी हो गया, जिसके बाद गहलोत का कांग्रेस अध्यक्ष बनने का पत्ता तो कटा ही, साथ ही उन्हें सोनिया गांधी से मिलकर माफी भी मांगनी पड़ी।