कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के दौरान ही कहा था कि यह गलती है। उन्होंने साफ कहा था कि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से जल्दबाजी में इस्तीफा देकर बहुत बड़ी गलती की है। अब सुप्रीम कोर्ट में जेठमलानी की दलील ने उनकी टिप्पणी को सच साबित किया है। शिंदे गुट के वकील महेश जेठमलानी ने आज की सुनवाई के दौरान इन दो बिंदुओं पर जोर दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे बहुमत के परीक्षण में हार गए थे। उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद नई सरकार बनी। जेठमलानी ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री बहुमत परीक्षण का सामना करने से इनकार करते हैं तो यह माना जाता है कि उनके पास बहुमत नहीं है।
इसलिए चर्चा शुरू हो गई है कि क्या उद्धव ठाकरे का बहुमत परीक्षण का सामना किए बिना मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना कोई बड़ी भूल थी। हालांकि माना जा रह है कि उद्धव ठाकरे ने विधानसभा में विधायकों की क्रॉस वोटिंग का सामना करने की बजाय इस्तीफा देना ही उचित समझा था। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि उद्धव ठाकरे के पास दलबदल विरोधी कानून के तहत कड़ी कार्रवाई करने का अवसर था, लेकिन जिस जल्दबाजी में उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, वह मेरे विचार से एक बड़ी भूल थी। अब कुछ ऐसे ही सवाल सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से भी खड़े हुए हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे के वकीलों ने कहा कि उन पर दलबदल का कानून लागू नहीं होता है। इसकी वजह यह है कि इन लोगों ने शिवसेना को छोड़ा ही नहीं है बल्कि पार्टी के नेतृत्व में बदलाव करना चाहते हैं। यही नहीं विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी सवालों का जवाब महेश जेठमलानी ने दिया। उन्होंने कहा कि पुरानी सरकार ने एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी विधान सभा का अध्यक्ष नहीं चुना था। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार, नई सरकार को विधान सभा के अध्यक्ष का चुनाव करने की अनुमति है। मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद एक नई सरकार अस्तित्व में आई। उसके बाद विधान सभा में नए अध्यक्ष का चुनाव 164 से 99 के अंतर से हुआ।
2022-08-03 16:17:44 https://www.wisdomindia.news/?p=4424