एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू गुरुवार को महाराष्ट्र में थीं। इस दौरान उन्होंने भाजपा और एकनाथ शिंदे के समर्थक विधायकों एवं सांसदों से मुलाकात की। लेकिन मातोश्री नहीं गईं, जबकि उद्धव ठाकरे की ओर से ऐलान कर दिया गया है कि शिवसेना उनका समर्थन करेगी। द्रौपदी मुर्मू की ओर से ‘मातोश्री’ को नजरअंदाज करने के पीछे भाजपा की रणनीति भी मानी जा रही है। महाराष्ट्र की राजनीति को समझने वालों का कहना है कि भाजपा ऐसे वक्त में उद्धव ठाकरे को भाव नहीं देना चाहती, जब वह बैकफुट पर हैं और पार्टी में बड़ी फूट का सामना कर रहे हैं। दरअसल शिवसेना के ही 15 सांसदों ने उद्धव ठाकरे से मीटिंग के दौरान कहा था कि उन्हें द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान करना चाहिए।इस दबाव में उद्धव ठाकरे ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया तो उम्मीद की जा रही थी कि यह उनके भाजपा के फिर से करीब आने की शुरुआत हो सकती है। लेकिन ये कयास अब गलत साबित होते दिख रहे हैं। भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू के उद्धव से बिना मिले लौटने पर कहा, ‘उनका शेड्यूल एकदम टाइट था। उनकी सभी बैठकों की पहले ही योजना बन चुकी थी। ऐसे में उनके लिए आखिरी वक्त में प्लान को बदलना मुश्किल था।’ महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के खिलाफ 106 विधायक हैं और उसके साथ एकनाथ शिंदे समर्थक 40 विधायक और हैं। निर्दलीय विधायकों का आंकड़ा भी शामिल कर लें तो यहां 164 हो जाती है। राज्य के कुल 48 सांसदों में से 23 अकेले भाजपा के हैं, जो सबसे ज्यादा संख्या है। दूसरे नंबर पर शिवसेना के 19 हैं।

2022-07-15 16:27:41 https://www.wisdomindia.news/?p=3728

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