संजीव कुमार शुक्ला
लखनऊ :देश के अगले उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं। इन नतीजों में एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ ने जीत हासिल की है। इस पद के लिए राजग उम्मीदवार जगदीप धनखड़ और विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के बीच मुकाबला था। दोनों सदनों में राजग की मजबूत स्थिति को देखते हुए धनखड़ का जीतना पहले ही तय था। मगरविपक्ष की एकता कही नजर नहीं आई। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस साल अभी तक विपक्ष के पास अपनी एकता दिखाने के चार मौके आए हैं। कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल इन्हें भुनाने से चूक गए। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी एकता की पोल खुल गई थी अब यही हाल उप राष्ट्रपति चुनाव मे भी रही हालाँकि यहाँ भाजपा की जीत तय थी मगर फिर भी लड़ना तो मज्ब्बोति से चाहिए था। विपक्षी दल, केंद्रीय एजेंसी ‘ईडी’ पर निशाना तो साध रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद वे केंद्र सरकार के खिलाफ एक प्लेटफार्म पर खड़े नहीं हो रहे। पिछले दिनों विपक्षी एकता दिखाने के कई मौके सामने आए हैं, लेकिन विपक्ष उन्हें भुनाने से पूरी तरह चूक गया। राष्ट्रपति चुनाव आया, जिसमें विपक्षी एकता खंडित दिखाई पड़ी। कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कई बड़े नेता ‘ईडी’ की पूछताछ का सामना कर रहे हैं। यह विपक्ष के लिए एकता प्रदर्शित करने का दूसरा अवसर था। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने पांच अगस्त को महंगाई पर देशव्यापी प्रदर्शन किया। दिल्ली पुलिस ने राहुल और प्रियंका समेत दूसरे कांग्रेसी सांसदों को गिरफ्तार कर लिया। यहां भी कांग्रेस को विपक्ष का साथ नहीं मिला।
इसके बाद उपराष्ट्रपति चुनाव हुआ। यहां भी विपक्षी एकता कहीं नजर नहीं आई। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार के खिलाफ जो भी विपक्षी दल आवाज उठाता है, उसके पीछे जांच एजेंसी को छोड़ दिया जाता है। देखा जाए तो इस साल अभी तक विपक्ष के पास अपनी एकता दिखाने के चार मौके आए हैं। कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल इन्हें भुनाने से चूक गए। राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी एकता की पोल खुल गई थी। अब उपराष्ट्रपति चुनाव में जनता दल (जेडीयू), वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, अन्नाद्रमुक, लोक जनशक्ति पार्टी और शिवसेना जैसे कई अन्य दलों ने एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को समर्थन दे दिया। तृणमूल कांग्रेस ने यह कह कर उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने की बात कही कि विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के नाम की घोषणा से पहले उससे नहीं पूछा गया। उपराष्ट्रपति चुनाव के मतदान से एक दिन पहले ममता बनर्जी, पीएम मोदी से मिलीं। इस बैठक को लेकर भी कई तरह के कयास लगाए गए। वजह, पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे पार्थ चटर्जी, ईडी के शिकंजे में फंस चुके हैं।कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना था कि सरकार अपनी जांच एजेंसियों की मदद से विपक्ष को एकत्रित नहीं होने दे रही।
जैसे ही विपक्षी दल, सरकार को घेरने का प्रयास करते हैं, उन्हें टारगेट पर ले लिया जाता है। शिवसेना के संजय राउत भी ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। टीएमसी सांसद अभिषेक भी ईडी के रडार पर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ हो चुकी है। आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन, ईडी मामले में हिरासत में हैं। जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी जांच का सामना कर रहे हैं। महाराष्ट्र में शरद पवार के भतीजे अजित पवार पर भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है।कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा, विपक्ष के जो नेता मुंह बंद कर लेते हैं या भाजपा में शामिल हो जाते हैं, वे ईडी की कार्रवाई से बच जाते हैं। यह एजेंसी, भाजपा का ‘इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’ बन गई है। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा, भाजपा में शामिल हो गए। उनके केसों में जांच एजेंसी शांत है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा, नारायण राणे, रमन सिंह, मुकुल रॉय और सुवेंदु अधिकारी नेता, जिनके पीछे जांच एजेंसी पड़ी रहती थी, आज वे सब बाहर क्यों हैं।
2022-08-06 16:23:51 https://www.wisdomindia.news/?p=4560